बाढ़ उमानाथ घाट पर छठ: गंगा स्नान का महत्व
बाढ़ उमानाथ घाट पर छठ पूजा: आस्था का विराट संगम और गंगा स्नान का महत्व
छठ पूजा का आरंभ और गंगा स्नान:
चार दिवसीय छठ महापर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है, जिसमें व्रती पवित्र गंगा नदी में स्नान कर नए वस्त्र धारण करते हैं और सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं। बाढ़ के उमानाथ घाट पर इसी दिन से श्रद्धालुओं की भीड़ गंगा स्नान के लिए जुटने लगती है। गंगा में डुबकी लगाने के बाद, श्रद्धालु पवित्र गंगा जल लेकर जाते हैं, जिसका उपयोग छठ के प्रसाद 'ठेकुआ' आदि बनाने में किया जाता है।उमानाथ घाट की विशेष पहचान:
उमानाथ घाट का नाम यहाँ स्थित भगवान उमानाथ शंकर के प्राचीन मंदिर के कारण पड़ा है। मान्यता है कि यहाँ गंगा स्नान और पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। छठ पर्व के दौरान, यह घाट छठ व्रतियों और उनके परिजनों की भारी भीड़ से गुलजार रहता है, जो पूरी निष्ठा और भक्ति के साथ सूर्य देव और छठी मैया को अर्घ्य देने के लिए जुटते हैं।सुरक्षा और व्यवस्था:
श्रद्धालुओं की विशाल संख्या को देखते हुए, स्थानीय प्रशासन द्वारा उमानाथ घाट और अन्य गंगा घाटों पर सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए जाते हैं।* बैरिकेडिंग: नदी के गहरे पानी में जाने से रोकने के लिए घाटों पर बड़े पैमाने पर बैरिकेडिंग की जाती है।
* गोताखोरों की तैनाती: किसी भी अनहोनी से निपटने के लिए नावों के साथ गोताखोरों और नाविकों को तैनात किया जाता है।
* अन्य सुविधाएँ: महिला श्रद्धालुओं के लिए चेंजिंग रूम की व्यवस्था की जाती है और प्रशासन द्वारा लगातार माइक पर जरूरी घोषणाएं की जाती हैं।
बाढ़ का उमानाथ गंगा घाट छठ पूजा के दौरान लोक आस्था और संस्कृति के जीवंत दर्शन का प्रतीक बन जाता है, जहाँ गंगा स्नान की पवित्रता और छठ के कठोर व्रत की निष्ठा एक साथ देखने को मिलती है।
